Wednesday, December 22, 2010

बादलों का डर कहाँ है

बादलों का डर कहाँ है,
डर तो केवल धूप का है,
धूप में ही तो ये डर पैदा हुआ है 
स्वप्न जो मैंने बुने हैं
बारिशों में धुल न जाएँ 
इस चमकती धूप में 
बादल कहीं आ घुल न जाएँ 
जब हुई बरसात डर तो पल में ही हवा हुआ है 
फकीरों को डर कहाँ है 
डर तो केवल भूप का है 
डर तो केवल धूप का है 
बादलों का डर कहाँ है...