बेतरतीब, कई टुकड़े, साँसों के,
जैसे पिरो दिए हों धागे से,
बनाने को एक कठपुतली सी ज़िन्दगी..
चाट के अनगिनत मसालों जैसे,
एक दूजे पे पड़े, ऊपर नीचे,
बनाने को एक चटपटी सी ज़िन्दगी,
किसी नन्हे ने एक कागज़ पर,
कल के सीखे कुछ हर्फ़ उतारे हों,
कुछ पढ़ें ऊपर से तो कुछ नीचे से,
कुछ परे हम बड़ों की समझों से,
बनाने को एक खिलखिली सी ज़िन्दगी..
एक लम्हे की हंसी तू हंस ले,
एक आंसू कहीं पे मैं रो दूं,
जीने को एक ज़िन्दगी सी ज़िन्दगी..
नाचती, चटपटी सी, खिलखिली सी ज़िन्दगी..
कुछ परे हम बड़ों की समझों से,
बनाने को एक खिलखिली सी ज़िन्दगी..
एक लम्हे की हंसी तू हंस ले,
एक आंसू कहीं पे मैं रो दूं,
जीने को एक ज़िन्दगी सी ज़िन्दगी..
नाचती, चटपटी सी, खिलखिली सी ज़िन्दगी..
एक लम्हे की हंसी तू हंस ले,
ReplyDeleteएक आंसू कहीं पे मैं रो दूं,
जीने को एक ज़िन्दगी सी ज़िन्दगी..
bahut achchaa likhaa hai bhai...